Shayari
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जान कहती तो हैं, मगर दिल नहीं मानता
जो गुजरी हैं इस पर उस हकीकत को नहीं जानता |
कहते तो थे हम भी कि ख़ुदाया हैं इश्क़
पता चला कि ख़ुदा ही इश्क़ को नहीं मानता ||